रमजान को लेकर बाजारों में बढ़ी रौनक



अरुण कुमार

प्रखण्ड मुख्यालय सोनबरसा सहित आस-पास के बाजारों में रमजान शुरू होते ही खरीददारों की चहल-पहल बढ़ गई हैं।इस पर्व से जुड़े विभिन्न उपयोगी सामानों की दुकानें भी सज गई हैं।पाक व मुकद्दस का महीना रमजान के शुरुआती ही मुस्लिम समुदाय के लोग अपने इबादत में मशगूल हो जाते हैं।
मुस्लिम बहुल इलाकों में चहल पहल दिखाई दे रही है। शाम होने से पहले इफ्तार सामान खरीदने लोग बाजार में निकल जाते हैं जिससे बाजार की भी रौनक बढ़ी है।सोनबरसा के बाद भुतही, मधेसरा,मड़पा,पिपरा परसाईन,चक्की,बेला, फतहपुर के  कई इलाकों में इफ्तार के लिए फ्रूट्स की अस्थाई दुकानें लग गई हैं। रमजान के महीने में पूरा एक महीना तक रोजा रखने के बहुत सारे फजीलत हैं।अल्लाह इस महीने में इबादत करने वालो की सभी गुनाह माफ कर देती हैं।इस माह वक्ती नमाज के साथ साथ तरावीह की नमाज अदा की जाती हैं।इस मौके पर रोजेदार इफ्तार के समय फल-फूल खाते हैं।इफ्तार के समय खजूर खाने की अपनी अलग अहमियत हैं।पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी खजूर से ही रोजा खोलते थे। वहीं कई स्थानों पर महिलाएं भी जमात से तरावीह अदा कर रही हैं। लोगों ने इसके लिए घरों, बड़े हॉल और अन्य स्थानों पर इंतजाम कर रखे हैं। यहां होने वाली तरावीह की अवधि 10, 14 या 21 दिन रखी है। इसके अलावा कई बड़े परिवारों ने अपने घरों के सदस्यों के लिए भी अलग तरावीह के इंतजाम किए हैं।सामजिक कार्यकर्ता कमर अख्तर ने बताया कि ने बताया कि रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोजा आंख, हाथ, पैर, दिल, मुंह सभी का होता है, ताकि रोजा रखने वाला इंसान हमेशा बुराई से तौबा करता रहे और बुराइयों से बचता रहे। जो इन बुराइयों से खुद को नहीं रोक पाए तो उसका रोजा कोई काम का नहीं। नमाजियों के रोजे शुरू होते ही प्रखंड की फिजा बदली सी नजर आ रही हैं। आम दिनों के मुकाबले मस्जिदों में नमाजियों की संख्या ज्यादा नजर आने लगी है। जुमे की नमाज से पहले उलेमा ने गुनाहों से बचने की हिदायत दी। नमाज के बाद अमन शांति की दुआ की जा रही।

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